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अध्यात्म-कल्पद्रुम पालन कर, जिसमें पिंड आदि को शुद्धि, समिति, भावना, साधु की प्रतिमा, इन्द्रिय निरोध, प्रतिलेखना गुप्ति व अभिग्रह आदि का समावेश है।
चरणसित्तरी के ७० भेद ५. महाव्रत-अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य अपरिग्रह का पालन ।
१०. यतिधर्म-क्षमा, अहंकारत्याग, सरलता, निर्लोभ, तप, प्राश्रव की विरति, सत्य, संयम, धनत्याग, अखण्ड
ब्रह्मचर्य।
१७. प्रकार से संयम
५. नए कर्मबंध कराने वाले प्राणातिपात तृषावाद आदि महादोषों से अलग रहना, ५. इन्द्रियों का दमन, ४ कषाय का त्याग, ३ मन, वचन, काया के पाप कार्यों से दूर रहना । १०. प्रकार से वैयावच्च- -
१ आचार्य, २ उपाध्याय, ३ तपस्वी, ४ नवदीक्षित शिष्य, ५ रोगी साघु ६ सामान्य साधु, ७ स्थविर, ८ चतुर्विध संघ, ६ कुल १० गण इन सबकी योग्य सेवा करना, उन्हें आहार पानी ला देना एवं उनकी अन्य सेवा करना। ६. ब्रह्मचर्य गुप्ति
१. वसति-जिस स्थान में, स्त्री, पशु, या नपुंसक हों या उनकी मूर्ति या चित्र हों वैसे स्थान में नहीं रहना।