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यतिशिक्षा
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२. कथा-स्त्री संबंधी कथा न कहना, न पढ़ना, मात्र त्रा वर्ग के सामने कथा नहीं कहना, स्त्री से एकांत में बात न करना।
३. प्रासन-स्त्री के साथ एक आसन पर न बैठना, उसके उठ जाने पर भी उस आसन या स्थान पर दो घड़ी (४८ मिनट) तक न बैठना।
४. इंद्रिय निरीक्षण स्त्री के अंगोपांग नहीं देखना ।
५. पर्दे की प्रोट से काम श्रवण-भीत, कनात, या पर्दे की ओट के पीछे रहते हुए पति पत्नि या स्त्री की बातें न सुनना।
६. पूर्व भोग चिंतन-पहले के भोगे हुए विकारों की स्मृति न करना।
. प्रणीत-दुध, दही, घी, मधुर और चीकने पदार्थ अधिक न खाना।
८. अति मात्राहारअविकारी सादा भोजन भी मात्र शरीर निर्वाह जितना ही खाना, खूब पेट भरकर न खाना एवं . अधिक मूत्र आवे वैसा आहार न करना।
8-विभूषण-स्नान, विलेपन, या शरीर की शोभा न करना।
३. ज्ञान–शुद्ध अवबोध, शुद्ध श्रद्धा और निरतिचार वर्तन ।
१२. तप-१ उपवास करना, २ कम खाना, ३ वस्तुएं कम खाना, ४ रस त्याग, ५ शरीर को लोचादि कष्ट देना,