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अध्यात्म-कल्पद्रुम दुर्लभ है, उनको पहचान कर उनको पूजना, नमना, प्रारधना करना अधिक दुर्लभ है।
१२. साधु की प्रतिमा-विशेष प्रकार के तप । ज्ञानी से या शास्त्रों से जानें।
५. इंद्रिय निरोध इंद्रियों का दमन ।
२५. प्रतिलेखना–सुबह, दुपहर और सायंकाल को सब उपकरणों की प्रतिलेखना करना। (उन्हें झाड़ना पोंछना)
३ गुप्ति-मन वचन और काया के योगों पर अंकुश रखना या उनको रोकना।
४. अभिग्रह-द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव से अभिग्रह करना या नियम लेना, मन में सोचकर उसका पालन करना।
चरणसित्तरी नित्य अनुष्ठान है और करणसित्तरी प्रयोजन के वश करने योग्य अनुष्ठान है।
योग धन की आवश्यकता हतं मनस्ते कुविकल्पजालैर्वचोप्यवद्यश्च वपुः प्रमादः। लब्धीश्च सिद्धीश्च तथापि वांछन्, मनोरथैरेव हहा हतोसि ॥४१॥
अर्थ तेरा मन खराब संकल्प विकल्प से आहत है, तेरे वचन असत्य और कठोर भाषण से भरे हुए हैं और तेरा शरीर प्रमाद से बिगड़ा हुवा है फिर भी तू लब्धि और सिद्धि की इच्छा करता है। वास्तव में तू (मिथ्या) मनोरथ से मारा गया है ॥ ४१ ॥
उपजाति