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अध्यात्म-कल्पद्रुम
६ अंगोपांग का संकोच ये छ बाह्य तप । ७ प्रायश्चित, ८ विनय, & वैयावच्च, १० ज्ञानाभ्यास, ११ ध्यान, १२ उत्सर्ग ये छ: आंतरिक तप करना । कुल १२ तप तपना ।
४. कषाय त्याग — क्रोध, मान, माया, लोभ का त्याग ।
करणसित्तरी के ७० भेद
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४. पिंडशुद्धि में ४२ दोष रहित आहार लेना, शय्या
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शुद्धि, वस्त्र और पात्र शुद्धि ।
५. समिति - १. मार्ग में साढ़े तीन हाथ आगे दृष्टि रखकर चलना, इर्यासमिति, २. निर्दंभ, सत्य अल्प, हितकर बोलना, भाषा समिति, ३. दोष रहित आहार पानी लेना, एषणा समिति, ४. वस्तु लेते या रखते जीवों की रक्षा करना, प्रदान भंडमत्त प्रक्षेपणा समिति, ५. लघुशंका, शौच आदि करते या डालते या खेंखार कफ खूंक या कचरा आदि फेंकते समय जमीन को देखकर जीवों की रक्षा करते हुए डालना, पारिठा पनिका समिति ।
१२. बारह भावना
१. अनित्य — इस संसार में आत्मा के सिवाय अन्य समस्त वस्तुएं नाशवंत हैं, यह सोचना ।
२. अशरण - मृत्यु के समय जीव का कोई रक्षक नहीं है मात्र शुभ कर्म का ही शरण है ।