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यतिशिक्षा
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खोखला होगा तो अंकुर कैसे उगेगा । आपके हो कारण आज जैन समाज छिन्न भिन्न हो रहा है । तिथि चर्चा के कारण समाज का अंग प्रत्यंग दर्द अनुभव कर रहा है। संवत्सरी की एकता जाती रही है। आज आपके कुसंप के विरुद्ध श्रावकों को अनशन करना पड़ रहा है । अब तो आपसी फूट को मिटावें । अब तो आपको स्वमान का भान होना चाहिए। अब तो प्रभु महावीर व उनके प्राचार को आघात लगाने वाले साहित्य प्रगट हो रहे हैं क्या इस तरफ भी आपका ध्यान गया है ? जैन समाज आपसी फूट अंधक्रिया रुचि व अंध विश्वास के कारण अपनी संस्कृति को खो रहा है यह सब आपको संभालना होगा। आपसे समाज की यह मांग है कि आप अपने साधु समाज के झगड़ों को सुलझाकर नए संघटित समाज की रचना कर जैन शासन का सितारा ऊंचा चमकावें। .
हे गुरुवर्य माप अपना असली कर्तव्य बजाइये। हे क्ष्माश्रमण ! आप सबसे कटु शब्दों के लिए अंतकरण से क्षमा मांगता हूं, किसी की निंदा नहीं करना चाहता हूं। किसी न किसी तरह से शासन की उन्नति हो, सबको मोक्ष की प्राप्ति हो, धर्म की जय हो इसी से तीवू शब्दों का प्रयोग किया है, अतः क्षमा करें।
इति त्रयोदशो यतिशिक्षोपदेशाधिकारः