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वैराग्योपदेश
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दबे पांव चौकन्नी होकर पास आ जाती है और अपने विकराल गाल में उस निरीह बच्चे को दबा देती है। बस १-२ बार चू चूं की आवाज के साथ वह मूर्ख बच्चा अपनी प्राण लीला समाप्त कर देता है । हे संसार लिप्त प्राणियो ! हम भी तो इस जीवन में अज्ञान रूपी अंधकार के कारण अपने आपको निडर, अमर सदा काल रहने वाला मान कर मनमानी रीति से चल रहे हैं। हम उस मृत्यु को नहीं देख रहे हैं जो तेज गति से हमारे पास आ रही है। जेब घड़ी या हाथ घड़ी हमारे पास सदा रहती है व सैंकेंड सैकेंड पर टक टक करके चेतावनी देती है कि हे मानव तूने मेरा निर्माण किया है अतः मित्र के नाते तुझे सावधान करती हूं कि मैं उस सर्वशक्तिमान मृत्यु देवी की दूती हूं तो अजेय है, अवश्य तेरे पास आने वाली हैं और तुझे तेरे कर्मानुसार गति में ले जाने वाली है अतः जागृत रहकर अपने हित के काम को कर ले।
इस जीवन रूपी वृक्ष पर सैकेंड २ रूप कुल्हाड़े का घाव पड़ रहा है और एक दिन वह वृक्ष अवश्य मेव कट कर गिर जाने वाला है। जब तक तेरा जीवन वृक्ष नहीं कट जाता है तब तक आत्म हित कर ले । उस वृक्ष के कट जाने के बाद तू परतंत्र हो जाएगा तुझ पर जबरदस्ती काल देव का शासन होगा तब कौन जाने तेरा क्या होगा ? तू किस दशा में होगा और किस दिशा में जाएगा, कैसी तेरी परिस्थिति होगी ? शायद तू यह माने हुए है कि ये पाराम व आनंद