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यतिशिक्षा
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अर्थ – संयम उपकरण के बहाने से पुस्तक आदि का बोझ जो तू दूसरों से उठवाता है ( उनपर बोझ लदवाता है ) परन्तु वे भी तुझसे अनंत काल तक गाय, गधा, ऊंट, पाड़ा आादि रूप में भार उठवाएंगे ।। २८ ।। रथोद्धता
विवेचन - हे महाव्रतधारी साधु !
(
या प्राचार्य ! ) तू
जीव रक्षा व हिंसा का व्रत लेकर भी अपने तन का बोझ मजदूर से उठवाता है, यह कितनी निर्दयता है । तू पुस्तकों के बोझ के बहाने खाने के पदार्थ पानी का घड़ा व अन्य बोझा भी उससे उठवाता है, लेकिन याद रख अगले भव में तुझे भी गधा, ऊंट, घोड़ा या बैल होकर भार ढोना पड़ेगा । तू श्रावकों से मजदूर तो मांगता है रास्ता बताने के लिए लेकिन उसके पास से भार उठवाने का काम भी लेता है यह अनुचित है ।
संयम और उपकरण की शोभा की तुलना
वस्त्रपात्रतनुपुस्तकादिन: शोभया न खलु संयमस्य सा । आदिमा च ददते भवं परा, मुक्तिमाश्रय तदिच्छयैकिकाम् ||२६||
अर्थ – वस्त्र, पात्र, शरीर या पुस्तक आदि की शोभा करने से संयम की शोभा नहीं होती है । प्रथम प्रकार की शोभा भव वृद्धि देती है जब कि दूसरे प्रकार की ( संयम की) शोभा मोक्ष देती है अतः इन दोनों में से तेरी इच्छानुसार एक शोभा का आश्रय ग्रहण कर । ( अथवा उस वस्त्र पुस्तक आदि की शोभा का त्याग कर । हे यति ! मोक्ष प्राप्ति