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विषय प्रमाद
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विवेचन-बिना पढ़ा या गंवार मनुष्य भी अपने प्रत्येक व्यापार (काम) का परिणाम अवश्य सोचता है फिर तेरे जैसा पढ़ा लिखा मनुष्य बिना परिणाम जाने ही विषय सेवन करता रहता है यह क्या उचित है ? तुझे मधुबिंदु का दृष्टांत सोचना चाहिए । एक मनुष्य जंगल में भटकता है अचानक एक जंगली हाथी की नजर उस पर पड़ जाती है । यह मनुष्य दौड़कर एक वटवृक्ष को ऊंची डाल से लटक जाता है । उसी डाली पर उसके सिर पर शहद की मक्खियों का छत्ता है जहां से शहद उसके मुख में टपकता है। उसकी आंखें उस डाली को देखती है जहां दो चूहे (सफेद और काला) उसी डाली को काट रहे हैं। एक बार उसने नीचे भी देखा और कांप गया क्योंकि ठीक उसके नीचे कुए में एक अजगर और चार सांप मुँह फाड़े उसके गिरने की इन्तजार कर रहे हैं । वह हाथी भी यहां आ पहुंचा था और वृक्ष को उखाड़ने की कोशिश कर रहा था। कितनी भयंकर स्थिति थी उसकी !! हाथ थक गए थे, अतः गिरने का डर था ही और गिरगा भी सांपों के मुंह में । ऊपर से डाली भी कट रही थो, उधर हाथो जोर लगा हो रहा था। इसी समय दो देवी देवता विमान द्वारा आते हैं और उसे अपने विमान में बैठाने के लिए हाथ बढ़ाते हैं, लेकिन वह मूर्ख शहद की बूंद के स्वाद में क्या कहता है, "जरा ठहरो एक बूंद और चखने दो”, देव ठहर गए, फिर कहा तो फिर भी उसने वही जवाब दिया देव चले गये । हाय अभागे तेरी मौत निश्चित है । इस दृष्टांत में वह मनुष्य जीव ही है, हाथी यमराज है, वृक्ष संसार १४