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अध्यात्म-कल्पद्रुम अर्थ स्वाध्याय, योग वहन, चारित्र क्रिया में व्यापार, बारह भावना भौर मन वचन काया की शुभाशुभ प्रवृत्ति के फलों के चितवन से सुज्ञ प्राणी मन का निरोध करता है।
विवेचन-मन को वश करने के चार उपाय बताए हैं (१) स्वाध्य अर्थात शास्त्राभ्यास । इसके पांच भेद हैंपढ़ना, प्रश्न करना, पुनरावर्तन, चितवन एवं धर्मकथा। योगवहन अर्थात मूल सूत्रों के अभ्यास की योग्यता के लिए क्रिया व तप करना । ऐसा करने से ही शास्त्राभ्यास सुरीति से हो सकता है। (२) क्रियामार्ग अर्थात् धर्म क्रिया का करना । श्रावक देवपूजा, छ: आवश्यक, सामायिक, पौषध आदि करे । साधु-आहार निहार प्रतिलेखन, प्रमार्जन, कायोत्सर्ग आदि में काया की शुभ प्रवृत्ति रखे। (३) बारह भावना-भाना। अनित्य, अशरण, भव, एकत्व, अन्यत्व, अशुचि, पाश्रव, संवर, निर्जरा, लोकस्वभाव, बोधी, धमें, ये बारह भावनाएं सदा मन में सोचते रहना। इनका अर्थ ऐसे भी क्रमशः हो सकता है; सर्वनाशवंत, निराश्रयता, संसार रचना वैचित्र्य, एकाकीपन, स्वतंत्रता, शरीर की अपवित्रता, पापकर्म से संसार भ्रमण, समता से कर्मबंध का अटकाव, सर्वकर्म क्षय, चौदह राजलोक का स्वरूप चिंतन, सम्यक्त्व पाने की दुर्लभता, अरिहंत समान निरागी धर्मोपदेशक । इन
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