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(१३३) निरर्थक दोष लगते हैं । श्रीभगवतीसूत्रमें कहा है कि--धर्मी पुरुष जागते तथा अधर्मी पुरुष सोते हों तो उत्तम है। इसी प्रकार श्रीमहावीरस्वामीने वत्सदेशके राजा शतानीककी बहिन जयन्तीको कहा है.
निद्रा जाती रहे तब स्वरशास्त्र के ज्ञाता पुरुषने पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु तथा आकाश इन पांच तत्त्वोंमें से कौनसा तत्व श्वासोश्वासमें चलता है सो ज्ञात करना. कहा है कि--पृथ्वीतत्त्व
और जलतत्त्व में निद्राका छेद हो तो वह कल्याण के लिए है, परंतु आकाश वायु के अग्नितत्व में तो वह दुःखदायक है । शुक्लपक्षके प्रातःकालमें वाम-(चंद्र) नाडी और कृष्णपक्षके प्रातःकालमें दक्षिण (सूर्य) नाडी उत्तम है । शुक्लपक्ष तथा कृष्णपक्षमें अनुक्रमसे तीन दिन ( पडवा, बीज, तीज) तक प्रातःकालमें चन्द्रनाडी और सूर्यनाडी शुभ है । शुक्लप्रतिपदा ( उजेली पडवा) से लेकर प्रथम तीन दिन (तीज) तक चन्द्रनाडीमें वायुतत्व रहता है, उसके पश्चात् तीन दिन ( चौथ, पंचमी, छट्ठ) तक सूर्यनाडीमें वायुतत्व रहता है, इसी प्रकार आगे चले तो शुभ है, परन्तु इससे उलटा अर्थात् पहिले तीन दिन सूर्यनाडीमें वायुतत्व और पिछले तीन दिन चन्द्रनाडीमें वायुतत्व इस अनुक्रमसे चले तो दुःखदायी है।
चन्द्रनाडीमें वायुतत्व चलते हुए जो सूर्योदय होवे तो सूर्यनाडीमें अस्त होना शुभ है. तथा जो सूर्योदयके समय