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(२०८) परिका, याने मकडीके पडसे बंधा हुआ एक मुखवाजा है । ६ पणव, यह पडह विशेष अथवा भांडपडह जानो। ८ भंभा याने ढक्का, ९ होरंभा याने महाढक्का, १० भेरी यह ढक्केके आकारका वाद्यविशेष है । ११ झल्लरी यह चमडेसे मढी हुई पहोली और वलयाकार होती है । १२ दुंदुभी, यह संकडे मुंहका तथा भेरीके आकारका देववाद्य होता है । १३ मुरज अर्थात् बडा मादल, १४ मृदंग याने छौटा मादल, १५ नांदीमृदंग, यह एक ओरसे संकडा व दूसरी ओरसे चौडा होता है । १६ आलिंग, यह मुग्जकी एक जाति है । १७ कुस्तुव, यह चमडेसे बंधा हुआ घडेके समान एक बाजा होता है । १९ मादल, यह दोनों ओरसे समान होता है, ३० विपंची, यह तीन तांतकी वीणा होती है । २१ वल्लकी अर्थात् सामान्य वीणा २४ परिवादिनी याने सात तांतकी वीणा २८ महती याने सौतारकी वीणा ३५ तुम्बीणा, तुम्बे वाली वीणाको कहते हैं । ३६ मुकुन्द यह एकजातका मुरज है, जो प्रायः बहुत लीन होकर बजाया जाता है । ३७ हुडुक्का, यह प्रसिद्ध है । ४० डिंडिम, यह प्रस्तावना सूचक एक वाद्य है । ४२ कडंबा, ३९ करटिना और ४३ दर्दरक ये प्रसिद्ध है । ४४ दर्दरिका याने छोटा दर्दरक ४७ तल याने हस्तताल । ५४ वाली यह एक प्रकारका मुख वाजिन्त्र है ५७ बंधूक, यह भी तूण सदृश मुख वाजिंत्र है । बाकांके भेद लोकमें प्रसिद्ध हों उसके अनुसार