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करने में अतिनिपुण पट्टिश और दूसरे हाथमें किसी रातिसे फूट न सके ऐसा दुस्फोट, एक हाथमें बैरीलोगों को विघ्न करनेवाली शतघ्नी और दूसरे हाथमें परचक्रको कालचक्र समान चक्र ; इस प्रकार बीसों हाथों में क्रमशः बीस आयुध धारण कर वह बड़ा ही भयंकर हो गया.
वैसे ही, एक मुखसे सांडकी भांति डकारता, दूसरे मुख से तूफानी समुद्र के समान गर्जना करता, तीसरे मुख से सिंहके समान सिंहनाद करता, चौथे मुख से अट्टहास्य ( खिलखिला कर हंसना) करता, पांचवें मुख से वासुदेवकी भांति भारी शंख बजाता, छट्ठे मुखसे मंत्रसाधक पुरुषकी भांति दिव्य मंत्रों का जप करता, सातवें मुखसे एक बड़े वानरकी भांति हक्कारव करता, आठवें मुखसे पिशाचकी तरह उच्चस्वरसे भयंकर किलकिल शब्द करता, वनमें मुखसे गुरुकी भांति कुशिष्यरुपी सेनाको तर्जना करता तथा दशवें मुखसे वादी जैसे प्रतिवादीको तिरस्कार करता है, वैसे रत्नसारकुमारको तिरस्कार करता हुआ वह भिन्न २ चेष्टा करनेवाले दशमुखों से मानो दशों दिशाओं को समकालमें भक्षण करनेको तैयार हुआ हो ऐसा दीखता था. एक दाहिनी और एक बाई दो आंखोंसे अपनी सेनाके तरफ अवज्ञा और तिरस्कारसे देखता, दो आखों से अपनी भुजाओंको अहंकार व उत्साहसे [ देखता, दो आंखों से अपने आयुधों को हर्ष व उत्कर्ष से देखता, दो आंखोंसे तोतेको आक्षेप और दयासे देखता, दो आंखोंसे