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वस्तु के अवयवका अंशमात्र देखनेसे वस्तुका पूर्ण आकार चित्रित किया जा सके ऐसी अद्भुत चित्रकला दी। ___ एक वक्त कोशाम्बीनगरीमें राजसभामें गये हुए उस चित्रकार पुत्रने झरोखेमेंसे मृगावती रानीका अंगूठा देख, उसके ऊपरसे रानीका यथास्थितरूप चित्रित किया । राजाने मृगा. वतीकी जांघ पर तिल था वह भी चित्रमे निकाला हुआ देखा, अनाचार शंकासे क्रुद्ध होकर चित्रकारपुत्रको मार डालनेकी आज्ञा की । दूसरे सर्वचित्रकारोंने राजासे यक्षके वरदानकी बात कही। तब राजाने परीक्षाके हेतु एक कुब्जादासीका मुख मात्र दिखा कर चित्र निकालनेको कहा । वह भी चित्रकार पुत्रने बराबर चित्रित किया देखकर क्रोध शमने परभी राजाने उसका दाहिना हाथ काट डाला । तब चित्रकारपुत्रने अयोग्यशिक्षासे रुष्ट हो पुनः यक्षकी आराधना कर वरदान प्राप्त कर मृगावतीका रूप फिरसे बांये हाथसे चित्रित किया और वह चंडप्रद्योतराजाको बताया । राजाचंडप्रद्योतने मृगावतीकी मांगणी करनेके लिये कोशांबी नगरीको दूत भेजा। उसका तिरस्कार हुआ देखकर उसने अपनी सैन्य द्वारा चारों ओरसे कोशांबीनगरीको घेर ली । शतानीक राजा मरगया, तब चंडप्रद्योतने मृगावतीके कहलानेसे “ उज्जयिनीसे ईंटे मंगा कर कोट कराया और नगरमें अन्न तथा घास बहुत सा भर रखा । " चंडप्रद्योतने वैसा किया इतनेमें वीरभग