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उपयोग. "रात्रि है, कि दिन है ?" ऐसा विचार करना सो कालसे उपयोग. "कायाके, मनके अथवा वचनके दुःखसे म पीडित हूं कि नहीं ?" ऐसा विचार करना सो भावसे उपयोग।
इस भांति चतुर्विध उपयोग दिये पश्चात् निद्रा बराबर न गई हो तो नासिका पकडके श्वासोश्वास रोके, जिससे निद्रा शीघ्र चली जावे, अनन्तर द्वार देख कर कार्य चिन्ता आदि करना । साधुकी अपेक्षासे ओघनियुक्तिमें कहा है कि-द्रव्यादि उपयोग व श्वासोश्वासका निरोध करना । रात्रिमें जो किसीको कुछ काम काज कहना हो तो वह मन्दस्वर ही से कहना, उच्चस्वरसे खांसी, खुंखार, हुंकार अथवा कोई भी शब्द न करना. कारण कि बैसा करनेसे छिपकली आदि हिंसक जीव जाग कर मक्खी आदि क्षुद्रजीवों पर उपद्रव करते है तथा पडौसके मनुष्य भी जागृत होकर अपना अपना काम आरंभ करने लगते हैं, जैसे:-पानी लाने वाली, रसोई बनाने वाली, व्यौपारी, शोक करने वाला, मुसाफिर, कृषक, माली. रहेट चलाने वाला, घट्टा आदि यंत्र चलानेवाला, सिलावट, गांछी, धोबी, कुम्हार, लोहार, सुतार, जुआरी, शस्त्र बनानेवाला, कलाल, मांझी, (धीमर ), कसाई, पारधी, घातपात करनेवाला, परस्त्रीगामी, चोर, डाकू इत्यादि लोगोंको परंपरासे अपने अपने नीच व्यापारमें प्रवृत्ति करानेका तथा अन्य भी बहुतसे