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होता है तदनंतर अचित होजाता है । छाना हुआ आटा तो दोघडी के बाद अचित्त होजाता है ।
शंका - अचित्त भोजन करनेवालेको अचित्त हुआ आटा आदि कितने दिन तक ग्राह्य है ? |
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समाधान — सिद्धान्तमें इस विषय के सम्बन्ध में कोई दिनका नियम सुना नहीं | परन्तु द्रव्यसे धान्यके नये जूनेपनके ऊपर से, क्षेत्र से सरस निरस खेत के ऊपरसे कालसे वर्षा - काल, शीतकाल तथा उष्णकाल इत्यादिके ऊपरसे और भावसे कही हुई वस्तु अमुक २ परिणाम परसे पक्ष मास इत्यादिक अवधि जहांतक वर्ण, गंध, रसादिक में फेरफार न हो, और इली आदि जीवकी उत्पत्ति न हो वहांतक कहना | साधुको लक्षकर सत्तु- सेके हुए धान्यके आटे की यतना कल्पवृत्ति के चौथे खंडमें इस भांति कही है
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जिस देश, नगर इत्यादिमें सत्तुके अंदर जीव की उत्पत्ति होती हो, वहां उसे न लेना । लिये बिना निर्वाह न होता होवे तो उसी दिन किया हुआ लेना । ऐसा करने पर भी निर्वाह न होवे तो दो तीन दिनका किया हुआ पृथक् २ लेना । चारपांच इत्यादि दिनका किया हुआ । होवे तो इकट्ठा लेना वह लेने की विधि इस प्रकार है—
रजत्राण नीचे बिछाकर उसपर पात्र कंबल रख उसपर सत्तुको बिखेरना, पश्चात् ऊपरके मुखसे पात्रको बांधकर, एक