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प्रमेयवाधिनी टीका पद १७ सू० ५ पृथ्वीकायिकादीनां समवेदनादिनिरूपणम् अप्रत्याख्यन क्रिया, मिथ्यादर्शनप्रत्यया च, वत् तेनर्थे न गौतम ! एव मुच्यते-पृथिवीकायिकाः सर्वे समक्रियाः, यावत् चतुरिन्द्रियाः, पञ्चेन्द्रियतियग्योनिका यथा नैरयिकाः, नवरं क्रियाभिः सर एग्दृष्टयो मिथ्यादृष्टयः, सम्यग्मिथ्यादृष्टयः, तत्र खलु ये ते सम्यग्दृष्टयस्ते द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तघथा-असंयताश्च संयतासंयताच, तत्र खलु ये ते संयतासंयता स्तेपां खल तिस्रः क्रियाः क्रियन्ते दद्यधा-आरम्भिकी, पारिग्रहिकी, मायाप्रत्यया, तत्र खलु ये असंयता स्तेपां खलु चतसः क्रियाः क्रियन्ते, तद्यथा-आरम्भिकी पारिग्रहिख्यानक्रिया और मिथ्यादर्शन प्रत्यया (से लेणटेणं गोयमा ! एवं बुच्चा इस कारण ले हे गौतम ! ऐसा कहा जाता है कि (उदविकाइया तन्ने समकिरिया) पृथ्वीकायिक सब समान क्रिया वाले हैं (जाब चउरिदिया ) चौइन्द्रिय पर्यन्त । __(पंचिंदियतिरिक्खजोणिया) पंचेन्द्रिय लियंचयोनि बाले (जहा नेरइया) नारकों के समान (नवर) विशेष (किरियाहि) क्रियाओं से (समविठ्ठी) सम्यग्दृष्टि (मिच्छद्दिठ्ठी) मिथ्यादृष्टि (सम्माभिच्छद्दिही) सम्पमिथ्यादृष्टि मिश्रदृष्टि (तत्य णं जे ते लम्सदिही) उनमें जो सम्यग्दृष्टि हैं (ते दुविहा पण्णत्ता) वे दो प्रकार के कहे हैं (तं जहा असंजता य संजयासंजया य) असंयत और संयतासंयत (तत्थ णं जे संजयासंजया य) उनमें जो संयतासंयत अर्थात् देशसंयमी हैं (तेसि णं तिन्नि किरियाओ कज्जति) उनको तीन क्रियाएं होती हैं (तं जहा आरंभिया, परिग्गदिया, मायावत्तिया) वे इस प्रकार-आरंभिकी, पारिग्रहिकी, मायाप्रत्यया (तत्थ णं जे असंजता) उनमें जो असंयत हैं (तेसिं णं चत्तारि किरिया कज्जति) उनको चार क्रियाएं होती हैं (लं जहाँ-आरंभिया, दसणवत्तिया य) तो मा ५४२-२ मिश्री, पारियलिटी, मायाप्रत्यया, प्रत्याभ्यान
या मने मिथ्याशन प्रत्यया (से तेणटेणं गोदमा ! एवं वुच्चइ) ये ४१२९४थी गौतम ! मे ४३पाय छ ३ (पुढविकाइया सब्बे समकिरिया) 2वीय४ मा समान यावा छे (जाव चउरि दिया) यावत् यतुरिन्द्रिय पर्यन्त
(पंचि दिय निरिक्खजोणिया) ५येन्द्रिय तियय योनिमा (जहा नेरइया) नानी समान (नवर) विशेष (किरियाहि ) मिाथी (सम्मदिढी) सभ्यष्टि (मिच्छट्ठिी) भिथ्या दृष्टि (सम्मा मिच्छट्ठिी) सभ्यभिया2-भिcिe (तत्यणं जे ते सम्मट्ठिी) तमाम र सभ्यष्टि छ (ते दुविहा पण्णत्ता) तसा में प्रा२ना ४ (तं जहा-असंजताय संजयासंजयाय) स यत भने स यतासयत (तत्थणं जे ते संजतासंजता) तयामां रे सयता सयत ..त् ४ सयभी छे (तसिणं तिन्नि किरियाओ कज ति) तेमाने त्रा जियाये। थाय छ (तं जहा-आरंभिया, परिग्गहिया, मायावत्तिया) ते २ -मार मिश्री, पारियालिस, भायाप्रत्यया (तत्थणं जे असंयता) तेसोमा २ AA यत छे (तेसिणं चत्तारि किरिया कन्जंति) तेमन यार किया थाय छे (तं जहा-आरंभिया, परिग्गहिया, मायाव
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