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प्रथापनासूत्रे सर्वे समवेदनाः १ गौतम ! पृथिवीकायिकाः सर्वे असंज्ञिनः असंज्ञिभूताम् अनियतां वेदना वेदयन्ति, तत् तेनार्थेन गौतम ! पृथिवीकायिकाः सर्वे समवेदनाः, पृथिवीकायिकाः खलु भदन्त ! सर्वे समक्रियाः ? हन्त, गौतम ! पृथिवीकायिकाः सर्वे समक्रियाः, तत् केनार्थेन एव मुच्यते-पृथिवीकायिकाः सर्वे समक्रियाः ? गौतम ! पृथिवीसायिकाः सर्वे माथिमिथ्या दृष्टय स्तेषां नियताः पञ्च क्रियाः क्रियन्ने, तद्यथा-आरम्भिकी, पारिग्रहिकी, मायाप्रत्यया, सव्वे समवेयगा) हां, गौतम ! सब समान वेदना बाले हैं (ले केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-पुढविकाइया सव्वे समवेयणा) हे भगवन् ! किस कारण ऐसा कहा जाता है कि सब पृथ्वीकाधिक समान वेदना वाले हैं ? (गोयमा ! पुढषिकाइया सव्वे असन्नी) हे गौतम ! सब पृथ्वीकायिक असंज्ञी हैं (असन्निभूयं अणिययं वेयणं वेयंति) असंज्ञिभूत अनियत वेदना वेदते हैं (से तेगडेणं गोयमा ! पुढपिकाच्या सव्वे समवेषणा) इस कारण से गौतम ! सब पृथ्वीकायिक समवेदना वाले होते हैं। ___ (पुढविकाझ्या णं ते ! लब्धे समसिरिया ?) हे अगवन् ! सब पृथिवीकायिक क्या समान फ्रिथा वाले होते हैं ? (हंता मोयमा ! पुढविकाइया सव्वे समकिरिया) हां गौतम ! सब पृथ्वीकाथिक समान क्रिया काले होते हैं (से केगटेणं भंते ! एवं वृच्चइ-पुढविकाइया सव्वे समकिरिया) हे अगवन ! किस कारण से ऐसा कहा जाता है कि सब पृथ्वीकायिक समान क्रिया वाले हैं ? (गोयमा! पुविकाया सब्वे) सभी पृथ्वीकाधिक (बाइमिच्छादिट्ठी) माथी-मिथ्यादृष्टि हैं (तेसिंणियझ्याओ पंचकिरियाओ कज्जति) उनको निश्चय से पांच क्रियाएं होती है (तं जहा-आरंभिया, परिगरिया, मामावत्तिया, अपच्चखाणकिरिया, मिच्छा दसणवत्तिया य) दे इस प्रकार-आरंभिकी, पारिवानिकी, याप्रत्यया, अप्रत्या समान वनावश छे (सेकेणटेणं भंते । एवं बुच्चइ-पुढविकाइया सव्वे समवेवणा ?) 3 भगवन् ! ॥ ४२0 मेम ४९५ छ , या वीयि समान वना छ (गोयमा ! पुढविकाइया सव्वे असन्नी) हे गौतम | ॥ पृथ्वी थि४ २५सी (असन्निभूयं, अणिययं वेयणं वेयंति) मसज्ञिभू। मनियत । साग छ (से तेणदेणं गोयमा ! पुढविकाइया सव्वे समवेयणा) ये ४२णे हे गौतम | धा पृथ्वीय समवेदनावाणा थाय छ ।
(पुढविकाइयाणं भंते ! सव्वे समकिरिया?) 8 सावन् । आधा पृथ्वी यि शु सभान ठियावाणा उय छे ? (हंता गोयमा! पुढविकाइया सव्वे समकिरिया) । गौतम | मया
414४ समान ठियावा डाय छे (से केणदेणं भंते ! एवं बुच्चइ-पुढविकाईया सव्वे सम किरिया) 3 सपन था ४२४थी मेम हेवाय छ है मा पृथ्वी समान यावा छ ? (गोयमा! पुढविकाईया सव्वे) हे गौतम | wधा पृथ्वीय (माइ मिच्छादिट्ठो) भायी भियाट छ (तेसि णियइयाओ पंचकिरियाओ कज ति) तभने निश्चयथी पाय याये। थाय छे (तं जहा आरंभिया, परिग्गहिया, मायाबत्तिया, अपच्चकनाणकिरिया, मिच्छा