Book Title: Karmagrantha Part 4
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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कर्मग्रन्थ भाग चार
पाया जाता है। क्योंकि उस समय आयु और वेदनीय, इन दो को उदीमा नहीं होती। ____ बसवें गुणस्थान की अन्तिम आवलिका, जिसमें मोहनीय की भी उदारणा रुक जाती है, उससे लेकर बारहवें गुणस्थाम को अन्तिम आवलिका पर्यन्त पांच का उदीरणास्थान होता है।
बारहवें गुणस्थान की अन्तिम आवलिका, जिसमें ज्ञानावरण, वर्शनावरण और अन्तराय, तीन कर्म की उदीरणा रूक जाती है, उससे सेकर तेरहवें गणस्थान के अन्त पर्यन्त चार का उदीरणा-स्थान होता है। सौदहवें गुणस्थान में योग न होने के कारण उच्य रहनेपर भी नाम-गोत्र की उपोरणा नहीं होती।
उक्त सत्र पन्धस्थान, सत्तास्थान आदि पर्याप्त संजी के हैं। क्योंकि बौवहों गणस्थानों का अधिकारी वही है। किस किस गुणस्थान में कौनसा फौनसा अन्वस्थान, ससास्थान, उक्यस्थान और उदीरणास्थान है। इसका विचार आगे गा० ५६ से ६२ तक में है ।। ||