Book Title: Karmagrantha Part 4
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 358
________________ मा. क्रियामिन वक्रियमि' नामक योग-विशेष। ४,४-विधम्म(ब)मीस [१२-१८ २४-विछविय ३,१५,१९,२५,३६--बिगड कर्मग्रन्च भाग चार पंक्रिय 'वैक्रिय' नामक योग विशेष। पो, सीन और पार इन्द्रियकाले विमा ६,१८,५५,५८,६५--विणा २८,३०,३३,४०,1_n विना ५१,५५,६०/-णुि १४,४०--विम()म ३५--विराग विमा विरविडिक सिवाय । सिपाय। मिया अवधिमान | 'पैशांवरक्षि' और 'सर्मविरति'. मामक पाँचवे और छठ गुणस्थान । रहित पीस। कांगा। 'वेद' नामक मार्गणा- विधा ६८-बीस विशात १,१८-सुर १,११,२०,३१६ }--() [४९ १०] घेद

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