Book Title: Karmagrantha Part 4
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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४१--सुपत्रमाण
भुटामान
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'श्रुमाझान -नामक मिथ्याज्ञानविशेष। देवगति ।
कर्मग्रन्थ भाग चार
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१०,१४,१८,२६,३०- सुरगाह [५१.१३] सुरगति २,५,१२,१८,२२, २९,३७,४१,५८, --सुहम[९.१८, सूक्ष्म ५९,६१,६२) ६०.२३]
८६-सुहमत्यविशार सूक्ष्मार्थविचार
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'सूक्ष्म' नामक पनस्पतिकायके आँव-विशेष। 'सूक्ष्मार्थविधार' अपर-नामक यह मस्था
३,७,३७,४५,५३,
सेस
शेष
बाकी ।
पाडश
संख्य
६५,६९,७० सस ५२.५३,५४,५८-सोला-स) ४१,४२,४३-२,५४-संस। ३९,४१,६२,६३-संवगुण
१,१--संसिन ९,३४-मंजम [४९.१८] ५- संजालगति
संख्यगुण संख्येष
सोलड्। संख्यातगुना। संख्यातगुना। संख्या । 'संयम'। संचलन कोष, मान और मावा ।।।
संयम संज्वलनत्रिक
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