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प्रा०
२७२
१०,१६,१६.२६/ _तिरि ।-य) (गई।
३०,३७ [५१-१७] ८१,८५-तिवागि
८३-तिवग्गिय ७१-तिविह
७१-तिहा ७२,८०,८६-तु ६६,७६-तुरिय
४१-तुल्ल ५० तेउतिग
सं० तिर्यञ्च (-गति) तिर्यग्गति' नामक गति-विशेष । त्रिम्गितुम तोन धार वर्ग करने के लिये। त्रिमिगत तीन बार वग किया हुआ । विविध तीन प्रकार विधा
तोन प्रकार।
तो
तुरीय
तुल्य
तेजत्रिक
चौथा । बराबर । "सेजः', 'पर' और शुक्ल' ये तीन लेश्याएं। 'तेज' नामक लेश्या-विशेष । तेरह । समाप्त तथा इस प्रकार ।
१३,१५-तेऊ [६४-१२] २६.३५-२.७,२२-तेर (स)
११.५०-ति
तेजः त्रयोदशन
कर्मग्रन्थ भाग चार
स्थावर
१५.२७.३२-यावर
१५-यो
'स्थावर' नामक जीयों की जाति विशेष 'स्त्रो वेद,नामक मार्गणा-विशेष ।
स्त्री