Book Title: Karmagrantha Part 4
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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प्रा. १०,१९,३६,३८-भू [५२-१४]
१४,६४,६८-मेष
पुग्धीकाय। प्रकार।
भेद
११,१४,२१,
मा(नाण)
मति (मान)
'मसिनामकहान-विशेष।
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४१-मनमाण
मस्यज्ञान
'मस्पहान' नामक समान विशेष। --मग्गणठाण ४-३] मार्गणास्थान
'मागंणास्थान'। २३-भगणा
मागण्या 'मार्गणास्थान'। ७१,७९,८०,८५-मझ
मध्यम ७२-मझिम
मध्यम १०,१५,२४,२८.1 २,२९,३५,३९, मण(जाग [५२. मन:(-योग) 'मनोयोग' नामक योग-विशेष। ४६,४७१२४,५६.१४,१३४.६] ५१-मणकरणानियम मनःकरणानियम 'मन' और 'इन्द्रियों को मर्यादाके
अन्दर न रखना। ११,६,१७,२१,
मनोज्ञान 'मन:पर्य' नामक शान-विशेष ।
कर्मग्रन्थ भाग पार
१७७-८] २८,३०,५८४-मणनाण
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