Book Title: Karmagrantha Part 4
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 351
________________ पा. १९--पुरिम ७५-पुषि ५८--पुच ८,२७,६१--पंच ४९-पंचम पत्रम २--परिपि[१०.१७] पपेन्द्रिय 'पुरुषवेद' नामक उपमार्गणा-विशेष पहिला। पहिले कहा एखा। पाँच। पाँचा। पाँच इन्द्रियोंबाला और। स्पष्ट। र १८,५९/ पायर [१०.३] ५,१५,२०,३०, --बार(स) स्ट और मनिषिवार' नामक नौका गुणस्थान । बारह। यो (हीन्द्रिय जीप) और दूसरा।। कर्मग्रन्प भाग चार द्वादश द्वि, द्वितीय २,१०,३२,०५-विस-य)

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