Book Title: Karmagrantha Part 4
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

Previous | Next

Page 349
________________ भा. सं. १६,२३-पढमतिमा प्रथमविश्या पहिली चीन (कृष्ण, नील और कापोत) लेश्याएँ। ६४--पढमभाव प्रबमभाद पहिला (ोपामिक) भाष । १५,१९,३०.३१, -पण पाँच। २,६८,५०० ५३-पणतीस पत्रिंशत् पैतीस। ५४,५५-पणपत्र पचपन। १०,१८,१९,२५,३१--पणिवि [५२-१०] पन्द्रिय पाँच इन्द्रियावाला जीव । ८२-पत्तेयनिगोयल प्रत्येकानगोवक 'प्रत्यकनिमो' नामक जीव-विशेष ५२,६८--पनर पन्द्रह। पचाक्षत् पचास । प्रमच 'प्रमत्त' नामक छठा गुणस्थान । ६१-पम० प्रमचान्त 'प्रम' नामक छठे गुणस्थान तक। ८५--पमाण प्रमाण प्रमाण । १३,१४–पम्हा [६४-१० 'पया' नामक दवा-विशेष। । outORE कर्मग्रन्थ भाग चार पा :

Loading...

Page Navigation
1 ... 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363