Book Title: Karmagrantha Part 4
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 347
________________ सं० Jio प्रा० ३१---नवणेवर नयनतर नर ११.१५,१५,१६. ME) नर[५३-१५] . नर २५.३१.३७.६८) १०,२५–नरगइ[५१.१५] नरगति 'यक्षदर्शन' और अचक्षुर्दर्शन'नामक उपयोग-विशेष । 'पुरुषवेद' और 'मनुष्यगति'नामक मार्गणा-विशेष तथा मनुष्य । 'मनुष्यगति' नामक उपमार्गणाविशेष । 'नरकगति' नामक उपमार्गणाविशेष । १४.१६,२६-नरय नरक २०,२१,२६.३० ३३,५२,५४-२.-नव ६४) नव नौ । ६,३०.३४-नाण[४६-१६] ज्ञान ज्ञान और सम्यग्ज्ञान । २,४६) ३३-४८-नाणतिग ज्ञानधिक 'मतिज्ञान', 'क्षतज्ञान' और 'अवधिज्ञान' नामक तीन ज्ञान,विशेष । निगोद' नामक जीव-विशेष । ६५-निगोयजोय निगोदजीय कर्मग्रन्थ भाग भार ७४--निट्टिय निष्ठित पूरा हो जाना ।

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