Book Title: Karmagrantha Part 4
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 346
________________ गा० प्राo ४२ - नय २१.३५, ४३-२,६२- दो ६,६, ३०.३४.४८-२- दस ( ग ) १४६-२०] ३२- दसणग ३३.४८ - दस ( - ) तिग ८१ - धम्मदेस ६६ - धम्म ४७.४६-२, ५४.६४ - न ११, १६, २५ - पु (पु ं) (स) [५३-१६] नमिय सं० नयन द्वि दर्शन 'दर्शनद्विक दर्शनत्रिक घ धर्मदेश धर्मादि न न नपुंसक नित्वा हि० 'चक्षुर्दर्शन' नामक उपयोग - विशेष । दो । 'दर्शन' नामक उपयोग-विशेष । चक्षुदंर्शन' और अवक्षुर्दर्शन'नामक दर्शन- विशेष । 'चक्षुर्दर्शन और 'अचक्षुर्दर्शन' और अवधिदर्शन' नामक दर्शनविशेष | 'धर्म' नामक द्रव्य के 'धर्म' नामक अजीव नहीं । नपुंसक नमस्कार करके | प्रदेश । द्रव्य - विशेष । कर्मग्रस्थ भाग चार २७५

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