Book Title: Karmagrantha Part 4
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 341
________________ गा० प्रा० सं २७० त ततीय ६५,७६-२-तइय ७४,७५.०३-सस्मि ३-सस्स तस्मिन् तस्य तोसरा। उसमें । उसका । १८.२६,२७-२-तब ते उनके द्वारा। २६,४७,४८,७९ ७६-२-तेहिं (हि) ५.३३,८०.८१८ तत ६१.७५-तओ ७४ तदंत ततः तवन्त उससे उसके आखिर में। काय-योग-नामक योग-विशेष । सतु (योग) तण (-जोग) १०.१६,२५. [५३-४-१६४-१३।। ४-तण पज्ज ८४-तथ्वग्ग तनुपर्याप्त तद्ग 'पर्याप्त' शरीर। उसका वर्ग । कमग्रन्थ माग धार १०.१६,१६,२५ तस [५२-२०] अस 'स'नामक जीव-विशेष

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