Book Title: Karmagrantha Part 4
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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प्रा० सं० ६६--जियत्त[२०० १४] जीवत्व
'जीवत्व' नामक पारिणामिक । भाव विशेष
कर्मनाथ भाग वार
सुन युक्त युक्तासंख्यात
सहित । सहित । 'युवतासंस्पात' नामक संख्याविशेष ।
३,१५,२७ ६७,--(यो ७६,७६. ७१.८३---जुत्त ७८ - जुत्तासंखिज्ज
[२१८-१५] १,६२२,२४,३१॥ ३६,४६,५०.५२,-जोग (अ) (य) ५३,५८.६८) [५-११, ६-६]
१२ -जोगळ्य ६२६३--जोगिन
७३ --जोयणसहस ७२--जंबूद्वीवपमाणय
योग
'योग'-नामक मार्गणा-विशेष ।
योगच्छव
यांग क नावभाग अंश । योगिन तेरहवें गुणस्थानवाला जीव । योचनसहन हजार योजन।। जम्बूद्वीपप्रमाणक 'जम्बू-नामक द्वीपके बराबर ।
३७-ठान ५२--ठिइबंध
स्थान स्थितिबन्ध
गुणस्थान या मार्गणास्थान । कम-अन्धकी काल-मर्यादा ।
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