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गा.
प्रा० ६०-चरिमदुग
सं. चरिमद्धिक
अलके दो (तेरहवों और चौदहवां . गूणस्थान ।)
कर्मयन्य भाग चार
७४-विध
४,८-२,१७,१८ २३,२७,३६३७.
" ४६,६१,५०-२॥
-छ (वक,ग)
षट् (क)
१०-छक्काय [५१-१] षट्काय पांच स्थावर' और एक 'स',
इस तरह छह काय । ५५-छचत्त
षट्चत्वारिंशत् छयालीस । ५१-छजियवह षड्जीववध. पाँच 'स्थाधर' और एक 'प्रस' इस [१७७-१०]
तरह छह प्रकार के मोवों का वध । ७.२४-छलेस षड्लेश्या कृष्ण, नील, कापोत, पोत, पद्म
और शुक्ल' नामक छह लेश्याएं । ५४-५६-छवीस
छब्बीस । ५४-छहिमचत्त षडधिकचत्वा- छयालीस ।
रिशत
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