Book Title: Karmagrantha Part 4
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 339
________________ गा० सं० प्रा० १२,२१,२८,४२-~छेअ [५८-१२] 'छेदोपस्थानीय, नामक संयम.. विशेष । यत ४८.जय १०.३८-जण ११३ १०-जलण [५२-१६] ज्वलन ७१-जहान जघन्य ७२,७६-जा यावत् ८४-जायद जायते ३५.७०-जिअ (य) जीव १,२,४५-जिअ(ग)ठाण३-१] जीवस्थान ३०-जिअलक्षण जीवलक्षण ८६-जिट्ठ ज्येष्ठ १,५३-जिण जित छठा गुणस्थान । 'स्मान-नालक स्थावर जीव । विशेष अम्निकाय-नामक स्थावर जीवविशेष । सबसे छोटा। जबतक । होता है। जीव । 'जीवस्थान'। जीव का लक्षण । बड़ा। राग-द्वेष को जीतनेवाला। कर्मयम्य-भाग चार

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