Book Title: Karmagrantha Part 4
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 321
________________ कर्मप्रन्प भाग चार २५० पृष्ठ । पंक्ति । | शाद । पृष्ठ ! पंक्ति शरद । रि] ११८ ४ | शासपृथक्त्व शरीर व । लब्धि-अपर्याप्त सरकल्पना २१० १५ लब्धिनस ससास्थान २७ २५ सब्धिपर्याप्त ४० १० [समय] २६१ विषप्रत्ययशरीर ६२ १५ सरामसंयम १४ २४ लब्धौन्द्रिय ३७ १४ |सागरोपम] २८ ६ [लवसत्तम देव] ७१ ११ सातिचारछेवोपस्थापलिङ्गभारीर नीयसंयम [सामान्य] पक्रगति १४४ १५ [सामान्य बन्ध-हेतु] १८११३ [वर्ग ११७ १ सूक्ष्मशरीर [वर्गमूल] [सूचिश्रेणि विग्रह १४३ १० [संक्रम] विपाकोषय १३७ १५ [संक्रमणकरण] विशुध्यमानसूक्ष्म संक्लिश्यमानकसूक्ष्मसांपरायसंयम ६१ ६ संपरायसंयम ६१ ५ [विशेष] [संक्षेप] [विशेष बन्ध-हेतु] १८१ १४ संज्ञा [विशेषाधिक] [स्थितकल्पी] [विस्तार] स्थितारिपतकल्पी] [विस्वा] ६२ ३ भाविक व्यावहारिकमरण ८९ १५ ! हेतुवावोपदेशिकोशा ३८ १५ x xnx a w -

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