Book Title: Karmagrantha Part 4
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 328
________________ प्रा० ३७,३६,४२,४४- असंख गुण हि. सं० असंख्यगुण असंयम ६६-अजम [२००-१] 25-असंभविन् कर्मग्रन्थ भाग चार असंभविन् अथ यथाख्यात असंख्यात गुना । 'असंयम'-नामक औदायिक भाव विशेष । न हो सकनेवाली बात । प्रारम्भमें। 'ययाख्यात' नामक चरिल विशेष । अधिकार में आया हुआ। ज्यादा १२,२०,२६.३३ अहवाय ३७,४१ [६१-१२] ४६--अहिाय ३८.२.४०.६२--अहिय अधिकृत अधिक १.२१.२.६११ ६८.७०/-आइई प्रथम ८१-आष्टमा ४८ -आइमा आदि आदिम आदिमद्विक ६१-आउ ७८-आलिया प्राथमिक। पहिले दो--पहिला और दूसरा गुणस्थान । 'आयुष्-नामक कर्म-विशेष । 'आलिका'-नामक कालका भाग विशष । आयुष् आबालिका २५७

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