Book Title: Karmagrantha Part 4
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 333
________________ गा ७३ – ओगाढ - ओहिबुग १४,२१.२५-.. प्रा० ३४ - ओहिदस १२,४०, ४२ – ओहो | ६३-१] २.३५,७६ - कम २४-२,२७,२६-२.) २६.४७,५४, ५६ -२ ६,११,१६,२५. ३१.५०, २०, ५७, ५२.६६. - फम्म (ण) [ --- काय [४६-१२] १३ - काक [ ६४-६ ] ६,३५,३६ - काय [४६-३] सं० ओ अवगाढ अधिकि अवधिदर्शन अवधि क कार्मण कषाय कापोत काय गहराई 'अवधिज्ञान' और 'अवधिदर्शन' नामक को उपमार्गणा - विशेष । 'अवधिदर्शन' नामक दर्शन- विशेष | 'अवधिदर्शन' तथा 'अवधिज्ञान' । बारी-बारी । 'कार्मणशरीर' नामक योग तथा शरीर विशेष । hatr नामक मार्गणा विशेष तथा कवाय 'कापोत' नामक लेश्या - विशेष । 'काय' नामक मार्ग तथा योग । विशेष 1 २६२ कर्मग्रन्थ भाग चार

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