Book Title: Karmagrantha Part 4
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 319
________________ २४८ शायद । पृष्ठ | औ । औपपातिकशरीर श्रमिक trafafta करण करण- अपर्याप्त करणपर्याप्त [कषायिक परिणाम] क्षायोपशम क्षयोपशमिक 1 (धन) [धनीकृत लोक ] ग। परिभवजन्य औपश मिकसम्पवश्व गसि घ । ६२ १३ १३८ १ १६७ १४ छायस्थिकयथाक्यात छ। पङ्क्ति ' जघन्य अनन्तान ह जघन्य असंख्यात संस्थात GT I ४१ १० ४० ४१ १३ २२३ १३ १३८ ४ १३८ १ ८ ६५ १३ ८१ १० १२९ १ ११८ ४ ६१ १५ २२० १८ २२० १ शव । पाड़ित । पृष्ठ | जघन्य परोतागश्त २२० ७ जघन्य परीतासंख्यात २१५ ११ जघन्य युक्तानन्त २२० १३ जघन्ययुक्त संख्यात्र २१८ १५ जघन्य संख्यात २०६ २४ [जाति भव्य ] [जीवसमास] ज्ञानसंज्ञा कर्मग्रन्थ भाग चार तिर्यक्प्रचय [तिर्यक्सामान्य]] द्रव्यप्राण द्रव्यमन ब्रव्य लेश्या धीर्घकालोपदेशिकी संज्ञा त । --=* द्रव्यवचन [द्रव्यवेद ] [ द्रव्यसम्यक्त्व ] द्रव्येन्द्रिय { ३‍ ८ ३ द । ६५ ર્ ५ ३८ २२ दृष्टिवादोषपेशिकी संज्ञा ३८२६ ३ १३५ १३ મ १६ १ १५ ३५ ५ १५८ २३ ३ १६ " ३३ १३५ ५३ १७३ १६ ३६ २०

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