Book Title: Karmagrantha Part 4
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 318
________________ कर्म : न्थ भाग चार अनुवाद गत पारिभाषिक शब्ों का कोष | अनुवादगत पारिभाषिकशब्दों का कोष शब्द | पङ्क्ति । शब्द | पृष्ठ | अ अछामस्थिकयथास्यात [ अध्यवसाय ] अनुभवसंज्ञ । [ अनुभाग ] [अनुभागबन्धस्थान] अन्तरकरण [ अन्तर्मुहूर्त [ [ अपवर्तनावरण] | अबाधाकाल ] अभवस्थ अयोगी असत्कल्पना आ । [आदेश ] आयोजिकाकरण [आयंबिल ] आवजितकरण [आवलिका ] आवश्यककरण इ । वरवर सामायिक पङ्क्ति । ६१ २० २२३ १३ ३८ २२३ १३ १६ .. १४० मैं २८ १ ૬ २‍ ६ १ १६४ २५ २१० १७ ܡ ex १५५ ६० १ १५५ ६ ३१ १ १५५ ७ ५७ २३ पृ० । उ । उत्कृष्ट अनन्तानन्त उत्कृष्ट असंख्याता सख्यात उत्कृष्ट परीस नित उत्कृष्ट परीता संख्यात उत्कृष्ट युक्ता मन्ल उत्कृष्ट युक्तासंख्पात उत्कृष्ट संख्यात उदयस्थान उरेरणास्थान उपकरणेन्द्रिय उपक्षम उपशमश्रेणिभावोओपशमिकसम्यवश्व [ओच ] ओषसंज्ञा ऊ । [ उतासामान्य ] ऊर्ध्वप्रचय २४७ ओ । २२५ ११ २२० २२० १५ २१६ ३ २२० १६ २२० २ २१७ १६ २८ * २८ ३ ३७ १२ १३६ २७ ६६ ३ १४ ar १५८ २५ ४ १६ ३६ १५

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