Book Title: Karmagrantha Part 4
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 312
________________ कर्मग्रन्थ भाग चार २४१ गुणस्थानों में बन्ध, उबय आदि का विचार पन्धसंग्रह में है। पृ०-१८७, नोट । गुणस्थानों में अल्प-महत्व का विचार पञ्चसंग्रह में है। पृ-१६२,नोट । कर्म के भाव पञ्चसंप्र-ए में हैं। १०. २०४, पोट । उस सिओं संबई का विचार कर्मग्रन्थ और पञ्चसंग्रह में भिन्न-भिन्न शैली फर है । १०२२७ । एक जीवाश्रित भावों की संख्या मूल कर्मग्रन्थ तथा मूल पञ्चसंग्रह में भिन्न नहीं है, किन्तु वोनों व्याख्यानों में देखने योग्य घोड़ा सा विचार मेन है । पृ०-२२६ ।

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