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कर्मग्रन्थ-भाग चार
संज्वलनलोभका उदय दसवें गुणवान तक ही रहता रखलिये इसके सिवाय उक वसमेंसे शेष नौ हेतु ग्यारहवे तथा बारह गुणस्थानमै पाये जाते हैं। नौ हेतु ये हैं: बार मनोयोग, खार बचनयोग और एक औदारिफकाययोग।
मेरहवं गुणस्थान में सात हेतु है:-सस्य और असत्यामुषमनोयोग, सत्य और असत्यामृषषचनयोग, औदारिककाययोग, धौदारिकमिअकाफ्योग तथा कार्मणकाययोग !
चौदहवं गुणस्थान में योगका अमाय है इसलिये इसमें बन्ध-हेतु सर्वथा नहीं है || ५ ॥