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कर्मग्रन्थ भाग चार मन्द रस-युक्त कुछ दलिकों का विपात्रोदय, साथ ही रहता है । विपाकोवयप्राप्त दलिक, अच्य रस युक्त होने से स्वावार्य गुण का घात नहीं कर सकते इससे यह सिद्धान्त माना गया है कि देशघातिकर्म के क्षयोपशम के समय, विपाकोदय विरुद्ध नहीं हैं अथति वह क्षयोपशम के कार्य को--स्वावार्य गुण के विकास को रोक नहीं सकता। परन्तु मह बात ध्यान में रखनी चाहिये कि देशघातिकर्म के विपाकोदय-मिश्रित क्षयोपशम के समय, उसका सर्वघाति-रस-पुक्त कोई भी दलिका, उदयमान नहीं होता । इससे यह सिद्धान्त मान लिया गया है कि जब, सर्वधाति-रस, शुद्ध-अभ्यवसाय से देशातिरूप में परिणत हो जाता है, तभी अर्थात् देशघाति-स्पर्घक के ही विपाकादय-काल में क्षयोपशम अवश्य प्रवृत्त होता है।
पातिकम की पच्चीस प्रकृतिमा देशघातिनी हैं, जिनमें से मतिज्ञानावरण, श्रुतशानावरण, अचक्षुर्दर्शनावरण और पांच अन्तराय, इन आठ प्रकृतियों का क्षयोपशम तो सदा से ही प्रत्रत्त है; क्योंकि आवार्य मनिशान आदि पर्याय, अनादि काल से क्षायोपमिक रूप में रहते ही है। इसलिये, यह मानना चाहिये कि उक्त आट प्रकृत्तियों के देशघाति-रसस्पर्षक का ही उदय होता है, सर्वघाति-रसस्पर्धकका कभी नहीं।
अवधिज्ञानाबरण, मनःपर्यायज्ञानावरण, चक्षुदर्शनावरण और भवधिदर्शनाबरण, इन चार प्रकृतियो का क्षयोपशम कादाचित्क (अनियत) है, अर्यात जव उनके सर्वचाति-रसम्पर्धक, देशवातिरूप में परिणत हो जाते हैं; तभी उनका क्षयोपशम होता है और जब सर्च याति-रसस्पर्धक नदयमानहोते हैं,तब अवधिज्ञान आदि का घात हो होता है। उक्त चार प्रकृतियों का क्षयोंपशम भी देशवाति-रसस्पर्षकके विपाक दय से मिश्रितही समझना चाहिये।
उक्त बारह के सिवाय शेष तेरह (चार संज्वलन और नौ नोकषाय) प्रकृतियाँ जो मोहनीय की हैं, व अघ्र बोदपिनी है। इसलिये जब उनका क्षयोपशम, प्रदेशोदयमात्र से युक्त होता है, तब तो वे स्वावार्य गुण का लेमा भी घात नहीं करतीं और न देशघातिनी ही मानी जाती है। पर जब उनका क्षयोपशम विपाकोदय से मिश्रित होता है, सब ने स्वावार्य गुण का कुछ घात करती हैं और देशघातिनी कहलाती है ।
(ख) घातिकम की बीस प्रकृतियां सर्वघातिनी है। इनमें से केवलज्ञानावरण और केवल दर्शनावरण, इन दो का तो क्षयोपशम होता ही नहीं; क्योंकि उनके दलिक कमी देशवाति-रसयुक्त बनते ही नहीं और न उनका विपाकोदय ही रोका जा सकता है । शेष अठारह प्रकृतियाँ ऐसी हैं, जिनका क्षयोपपाम हो सकता है; परन्तु यह बास, ध्यान में रखनी चाहिये कि देश