________________
गुणस्थानक का अर्थ क्या है ? देह सहित निरपेक्ष। तब तक सापेक्ष का आधार है। यानी कि गाड़ी प्लेटफॉर्म पर खड़ी रह गई, बिस्तर बाहर निकाल दिए और खुद गाड़ी में है। बिस्तर रह जाएँ तो भी हर्ज नहीं है।
शुद्धात्मा का अवलंबन किसे हैं? प्रज्ञा को।
निरालंब होने का अर्थ ही है केवलज्ञान होते जाना। निरालंब और निरावरण दोनों साथ-साथ होता जाता है। एक-दो जन्मों में निरालंब हो जाएँगे।
दादाश्री को किसका अवलंबन था? लोगों का। क्यों? सभी को मोक्ष की प्राप्ति करवानी है बस उतना ही। बाकी खुद मालिक नहीं रहे थे देह के, मन के या वाणी के।।
केवल ज्ञाता-दृष्टा और परमानंद, वही परम ज्योति है। स्वभाव में निरालंब दशा है। विशेष भाव में अवलंबन हैं सारे। वह अवलंबन वाला (दादा का बावा) यदि रौब जमाने लगे तो दादाश्री कहते थे कि "हम तुरंत ही उसके अवलंबन में से छूट कर निरालंब हो जाते हैं और उसे कह देते हैं कि 'बस, बहुत हो गया, आइ डोन्ट वोन्ट'। ऐसा करके उसका आधार हटा लेते थे।" ।
दादाश्री कहते हैं कि मेरे कितने ही अवतारों के फल स्वरूप यह निरालंब दशा प्राप्त हुई है। यदि खुद निश्चय करके इसके पीछे पड़ जाए तो हो सकता है। पहले स्थूल में फिर सूक्ष्म, सूक्ष्मतर और सूक्ष्मतम में निरालंब होते हैं।
निरालंब दशा प्राप्त करने के लिए कैसा रहता है कि जो मिल जाए वही खाए, जो मिलें वही कपड़े पहने, जो मिलें उन चीज़ों का उपयोग करे, तब काम होता है। अगर सत्संग में जाने का कोई साधन मिले तो ठीक और न मिले तो चलते हुए भी चले जाएँ।
दादाश्री कहते हैं कि हमें तो यह सत्संग भी बोझा लगता है लेकिन अभी आपके लिए काम का है फिर भी ध्येय ऐसा रखना चाहिए कि अंत में अन्य किसी सत्संग की ज़रूरत न रहे। खुद खुद के ही सत्संग में रहना है।
57