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क्या प्रतिष्ठित आत्मा वीतराग बन.. १६९ करुणा की पराकाष्ठा कहाँ १७७ स्पष्ट परिभाषाएँ वीतरागता की १७० जगत् का कल्याण होकर ही... १७९ किस आधार पर वे बने वीतराग? १७१ बीड़ा उठाया है हमने जगत्.... १८० वीतरागत्व प्राप्ति की राह १७२ गुरुपूनम के दिन पूर्ण अद्वैतभाव... १८१ जो वीतराग और निर्भय हो जाए... १७३ फिर भी रहा फर्क चौदस और... १८२ वीतरागता, वह दशा है १७५
__ [3] मैला करे वह भी पुद्गल, साफ करे वह भी पुद्गल! जहाँ शब्द व वाणी थम जाएँ... १८४ चेतन भाव वाला पुद्गल १९४ भूल पकड़ने वाला कौन? १८४ परमाणु शुद्ध करने हैं लेकिन... १९५ कचरा कौन दिखाएगा? १८६ साबुन भी खुद और कपड़ा भी खुद१९७ जो पराक्रम करता है, वह भी... १८८ दादा करते हैं सीधा खुलासा १९९ करता है पुद्गल, और मानता है... १९० ज्ञान की खान में से अनमोल रतन १९९ श्रद्धा-दर्शन-अनुभव-वर्तन १९२
[4] ज्ञान-अज्ञान मूलभूत भेद, ज्ञान-अज्ञान में २०१ ज्ञान अर्थात् प्रकाश, समझ नहीं २३१ जिसमें छाया न पड़े ऐसा उजाला २०२ अज्ञान किस प्रकार से पुद्गल है? २३२ ज्ञान कौन लेता है?
२०३ अज्ञान ही बड़ा आवरण २३४ इसमें 'खुद' कौन है? २०६ ज्ञानी ही समझा सकते हैं ज्ञान २३४ अहंकार किस तरह खत्म करना है?२०७ ज्ञान प्राप्ति का एकमात्र साधन... २३४ अज्ञान का प्रेरक कौन? २०८ शुद्ध ज्ञान वही परमात्मा २३६ जगत् का अधिष्ठान २०८ शुभाशुभ ज्ञान
२३७ दोनों का आदि विज्ञान २०९ नया ज्ञान ग्रहण करता है या सिर्फ...२३९ अहंकार की उत्पत्ति
रियल ज्ञान - रिलेटिव ज्ञान २४० ज्ञान, स्व-पर प्रकाशक |
आवरण खिसकने से प्रकट होता... २४१ ज्ञान सहज है, सोचा हुआ नहीं शुद्ध ज्ञान रखता है मिलावट रहित २४३ ज़रूरी है 'बंधन का ज्ञान' होना २१४ शुद्ध ज्ञान ही आत्मा
२४४ माया का सही स्वरूप
२१५ ज्ञान के प्रकार यथार्थ स्वरूप अज्ञान का
ज्ञान-विज्ञान के परिणाम
२४७ आधार देता है अज्ञान को... २१८ ज़रूरत है विज्ञान स्वरूप आत्मा... २४९ फर्क है भ्रांति और अज्ञानता में २१९ केवलज्ञान स्वरूप में, वही लक्ष २४९ क्या आया हुआ ज्ञान चला... २२१ न हारे कभी वीतराग किसी चीज़...२५० ज्ञान का अंत है, अज्ञान का नहीं! २२२ महात्माओं के लिए 'स्वरूप ज्ञान'...२५१ अज्ञान के आधार पर रुका है मोक्ष २२३ डिस्चार्ज मान के सामने ज्ञान जागृति२५२ जगत् के पास है, बुद्धिजन्य ज्ञान २२४ सभी ज्ञानियों का पुरुषार्थ एक... २५४ क्रिया वाला ज्ञान, है मात्र अज्ञान २२५ आज का ज्ञान अलग, तो कषाय... २५५ स्थिति तब की, जब सूरत स्टेशन...२२६ अज्ञान से परिग्रह, परिग्रह से... २५६
आत्मा : स्वाधीन-पराधीन २२७ गतज्ञान के आधार पर पराक्रम २५६ 'खुद' क्या है?
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