Book Title: Aptvani 13 Uttararddh
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 512
________________ [७] सब से अंतिम विज्ञान - 'मैं, बावा और मंगलदास' ४३१ रियल में उनकी 303 डिग्री है तो दादा ऐसा नहीं कहा जाएगा कि दादा रियल में 360 डिग्री पर है ? । दादाश्री : रियल में तो तीन सौ साठ डिग्री ही है। प्रश्नकर्ता : तो तीन सौ तीन डिग्री पर कौन आया है? दादाश्री : जो रियल होना चाहता है, वह । रियल, वह मैंने बताया कि आप मूल स्वरूप (शुद्धात्मा) से रियल हो अतः अब आप (बावा) रियल बनना चाहते हो। अब वास्तव में रियल ही बनना है। प्रश्नकर्ता : लेकिन कौन दादा? चंदूभाई तो चंदूभाई हैं। दादाश्री : जो रिलेटिव था, वही। प्रश्नकर्ता : मेरी ऐसी समझ है कि चंदूभाई रिलेटिव है, वह दो सौ दो डिग्री पर है और 'मैं' रियल है, वह तीन सौ साठ डिग्री पर है। दादाश्री : लेकिन वह बात सही ही है न! प्रश्नकर्ता : तो तीन सौ तीन डिग्री पर कौन है ? दादाश्री : वही, जिसे अभी तक मान्यता में तो 'मैं' तीन सौ साठ डिग्री पर ही है, लेकिन वर्तन में वह तीन सौ तीन डिग्री पर है। प्रश्नकर्ता : ठीक है। वर्तन में तीन सौ तीन डिग्री है। दादाश्री : हं! प्रश्नकर्ता : लेकिन दादा, किसका वर्तन? चंदूभाई का या... दादाश्री : जिसका वर्तन (डेवेलप) विकसित होता गया है वही। प्रश्नकर्ता : वह चंदूभाई है या और कोई ? दादाश्री : जो चंदूभाई था, वही! वास्तव में चंदूभाई नहीं था लेकिन 'मैं चंदूभाई हूँ' वह भी सही बात है न और आगे बढ़ता गया वह भी सही बात है।

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