Book Title: Aptvani 13 Uttararddh
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 517
________________ ४३६ आप्तवाणी-१३ (उत्तरार्ध) की अर्थात् रियल की और तीन सौ तीन डिग्री किसकी? तो वह नियर रियल की। ऐसा कहा। दादाश्री : नियर रियल। फिर एक सीढ़ी हो या दस सीढ़ियाँ लेकिन नियर रियल। इसमें यह दुनियादारी का उदाहरण सिर्फ आपको समझाने के लिए बताया है। आप चंदूभाई थे और डॉक्टर थे, तब तक ऐसा था कि 'मैं चंदूभाई डॉक्टर हूँ'। प्रश्नकर्ता : ठीक है। दादाश्री : फिर मैंने कहा कि 'नहीं! चंदूभाई डॉक्टर है लेकिन बाइ बॉडी वगैरह से, फिज़िकल में। अब आप शुद्धात्मा हो'। तब 'आपको' शुद्धात्मा और 'मैं चंदूभाई' को ऐसा पद। आपको ऐसा ध्यान आने लगा इसलिए मैंने कहा कि नहीं शुद्धात्मा बन नहीं गए हो, बन रहे हो और यह बीच वाली, बावा की स्टेज दी। प्रश्नकर्ता : ठीक है। बीच वाली बावा की स्टेज दी। हाँ समझ में आ गया। ...तब से ड्रेस वाला बावा दादाश्री : जब तक शब्द है, तब तक बावा जी। मैं शुद्धात्मा हूँ', तब तक बावा जी, 'मैं ज्ञानी हूँ' तब तक बावा जी, जिसकी तीन सौ छप्पन डिग्री है वह बावा जी, तीन सौ उनसठ डिग्री पर भी बावा जी। और 'मैं' अर्थात् मुझे लगता है कि तू 'मैं' को पूरी तरह से नहीं समझ पाया है ? बावा का अर्थ क्या है? प्रश्नकर्ता : तीन सौ साठ डिग्री पर कम्प्लीट और तीन सौ उनसठ तक बावा। अभी बावा तीन सौ छप्पन डिग्री पर है। दादाश्री : जहाँ 360 डिग्री, ऐसा शब्द है, वह बावा है और जो शब्द रहित है, वह सेल्फ है। अगर कोई कहता है कि 'मैं तीन सौ साठ

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