Book Title: Aptvani 13 Uttararddh
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 539
________________ ४५८ आप्तवाणी-१३ (उत्तरार्ध) आपको बावा की बात समझ में आई? एक्जेक्ट? तब तो सभी शास्त्र पढ़ लिए। यह जो उदाहरण दिया है न, इसमें तमाम शास्त्रों का सार आ गया। इतना यदि समझ में आ जाए न कि किस हद तक, कहाँ तक उसकी डिमार्केशन लाइन है ! तब कहेंगे, जहाँ पर, जहाँ तक फिज़िकल है, वहाँ तक मंगलदास है। ___ यह बात दुनिया में कभी बाहर आई ही नहीं है। पहली बार बाहर आई है। मेरी भावना है, लेकिन उसे कैसे बताएँ? ऐसा किस तरह कह सकते हैं? आपको समझ में कैसे आएगा? बावा कौन और मंगलदास कौन और मैं कौन? इसलिए मैं, बावा और मंगलदास में सबकुछ फिट हो गया।

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