Book Title: Aptvani 13 Uttararddh
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 516
________________ [७] सब से अंतिम विज्ञान - 'मैं, बावा और मंगलदास' ४३५ दादाश्री : यस, यस बट नियरली रियल। प्रश्नकर्ता : एब्सल्यूट? दादाश्री : एब्सल्यूट इज द रियल। आइ एम फोर डिग्री नियर एब्सल्यूटिज़म, थ्री हंड्रेड फिफ्टी सिक्स डिग्री। रियल इज़ करेक्ट, रियल इज़ थ्री हंड्रेड सिक्सटी एन्ड आइ एम (एट) थ्री फिफ्टी सिक्स डिग्री। दिस, 'नियर रियल' इज़ थ्री हंड्रेड फिफ्टी सिक्स। प्रश्नकर्ता : या, या। बट व्हेन ही वॉज़ एट द एज ऑफ फॉर्टी नाइन, व्हेर वॉज़ ही? अब, आपको पचास साल की उम्र में ज्ञान हुआ था तब आप थ्री फिफ्टी सिक्स डिग्री पर पहुँच गए लेकिन जब ज्ञान नहीं हुआ था, उनपचास साल की उम्र में, तब आप कहाँ थे? दादाश्री : ज्ञान से पहले बाइ रिलेटिव व्यू पोइन्ट हमारी टु सिक्सटी फाइव डिग्री थी। रिलेटिव में टु सिक्सटी फाइव डिग्री थी और 'नियर रियल' थ्री फोर्टी फाइव थी। रियल थ्री हंड्रेड सिक्सटी डिग्री होता है लेकिन अभी 'ये' यहाँ तक पहुँचे हैं। अब यह नज़दीक है, इसलिए बता रहे हैं कि कौन सी डिग्री पर हैं। अब कुछ समय बाद रियल तक पहुँच ही जाएँगे। यह इफेक्ट बचा है। बाकी रियली में तो कॉज़ में ये पहुँच ही चुके हैं। रियली पहुँच चुके हैं। हमारा रिलेटिव ऐसा आया है। प्रश्नकर्ता : आपको थ्री फिफ्टी सिक्स डिग्री तक पहुँचने में सब से बड़ी रुकावट या वीकनेस क्या थी? दादाश्री : इगो, इगोइजम, ऐसा था कि 'मैं कुछ हूँ'! तीन सौ तीन डिग्री तक पहुँचा था, वह बावा। बावा की शुरुआत यहाँ से हुई। पहले कितना था, जब चंदूभाई था तब? प्रश्नकर्ता : दो सौ दो डिग्री, आपने समझाने के लिए बहुत अच्छा शब्द कहा है कि चंदूभाई की दो सौ दो डिग्री है, तीन सौ साठ शुद्धात्मा

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