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[७] सब से अंतिम विज्ञान- 'मैं, बावा और मंगलदास '
अर्थात् ‘आइ विदाउट माइ' इज़ गोड, परमात्मा है। 'आइ विद माइ' वह जीवात्मा है । 'आइ विद नॉट माइन' अंतरात्मा है, बावा है । रोंग बिलीफ से है इम्प्योर सोल
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प्रश्नकर्ता : हमारा जो अस्तित्व है, वह इसलिए है कि हमारे अंदर शुद्धात्मा है । वह जो उसका अस्तित्व है, साँस लेना बंद कर लें तो यहाँ से चले जाएँगे, वह बात ठीक है ?
दादाश्री : शुद्धात्मा तो शुद्धात्मा ही रहता है और उसे कुछ भी नहीं होता न! देअर इज़ प्योर शुद्धात्मा इन दिस बॉडी । प्योर कभी भी इम्प्योर हो ही नहीं सकता । इम्प्योर सोल को साँस की ज़रूरत है।
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प्रश्नकर्ता : शुद्धात्मा और बॉडी, इन दोनों के बीच में कोई चीज़ है? इन्टरमीडियेट कोई चीज़ है ?
दादाश्री : वॉट इज़ द बाउन्ड्री ऑफ चंदूभाई ? वन चंदूभाई वन शुद्धात्मा, देअर इज़ मिडल। यानी प्योर सेल्फ यानी प्योर सोल (टू सेल्फ), इम्प्योर सोल (रिलेटिव सेल्फ) एन्ड फिज़िकल । तो प्योर सोल इज़ परमानेन्ट । इम्प्योर, इट इज ओन्ली द बिलीफ। उस रोंग बिलीफ को फ्रेक्चर कर दिया जाए तो चला जाएगा, इम्प्योर खत्म हो जाएगा और फिज़िकल की कोई ज़िम्मेदारी है ही नहीं । नो रिस्पोन्सिबिलिटी फिज़िकल की, रिस्पोन्सिबिलिटी सारी इम्प्योर सोल की है । इम्प्योर सोल देट इज़ आइ विद माय, क्रोध - मान - माया - लोभ, वह इम्प्योर सोल है । देट इज़ ओन्ली रोंग बिलीफ, नथिंग एल्स । प्योर सोल इज़ करेक्ट, फिज़िकल इज़ करेक्ट एन्ड द इम्प्योर सोल, देर इज़ ओन्ली रोंग बिलीफ, नथिंग एल्स !
रोंग बिलीफ से फिज़िकल को 'चंदूभाई' कहा है, फिज़िकल को 'चंदूभाई' नाम दिया है। पहचानने का यह साधन देते हैं लोग। दुनिया के लोग व्यवहार चलाने के लिए नाम देते हैं। वह फिज़िकल नाम देते हैं। तो उसका जो चंदूभाई नाम है, उसे इम्प्योर सोल ने पकड़ लिया है कि 'मैं ही चंदूभाई हूँ' । देट इज़ अ फर्स्ट रोंग बिलीफ यानी देट इज़ द इगोइज़म। नाम है इसका ( देह का ), चंदूभाई का और 'यह' (खुद)