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राग-द्वेष संसार का रूट कॉज़ - अज्ञान वेदांत कहते हैं कि मल-विक्षेप और अज्ञान। जैन कहते हैं रागद्वेष और अज्ञान। ये दोनों मत हैं मोक्ष में जाने के। ये तीन चीजें चली जाएँ तो इंसान मोक्ष पा ले। इनमें से मुख्य कॉमन क्या है ? तो वह है 'अज्ञान'। रूट कॉज़ क्या है ? राग-द्वेष रूट कॉज़ नहीं हैं, मल-विक्षेप रूट कॉज़ नहीं हैं तो फिर रूट कॉज़ क्या है? अज्ञान । यदि अज्ञान चला जाए तो फिर मोक्ष हो जाएगा।
इस ज्ञान प्राप्ति के बाद यहीं से हमें मोक्ष बरतता है, मुक्ति ही बरतती है। पहले अज्ञानता से मुक्ति होती है और फिर धीरे-धीरे, धीरेधीरे सभी राग-द्वेष का निकाल हो जाता है। समभाव से निकाल होने लगा है, तो सभी राग-द्वेष का निकाल हो जाने पर फिर अंतिम मुक्ति, आत्यंतिक मोक्ष हो जाता है।
देहधारी ही बनता है वीतराग जब तक ऐसा था कि 'मैं चंदूलाल हूँ', तब तक राग-द्वेष थे लेकिन अज्ञान चला गया तो राग-द्वेष गए। भले ही छोटा बच्चा हो, लेकिन फिर भी यदि अज्ञान चला जाए तो राग-द्वेष भी चले जाएँगे, सौ प्रतिशत। क्रमिक मार्ग के ज्ञानियों का सौ प्रतिशत अज्ञान नहीं जाता। अपने यहाँ तो सौ प्रतिशत अज्ञान चला जाता है अर्थात् राग-द्वेष बिल्कुल भी नहीं हैं।
प्रश्नकर्ता : लेकिन जब तक देह है, तब तक राग-द्वेष नहीं जाएँगे।