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[६] निरालंब
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इतना कर ले। निरपेक्ष, आपका खुद का अवलंबन 'मैं शुद्धात्मा हूँ' है, वहाँ तक आना है।
प्रश्नकर्ता : निरपेक्ष अर्थात् अपेक्षा रहित? दादाश्री : किसी प्रकार की अपेक्षा नहीं।
प्रश्नकर्ता : दादा, ये निर्विचार, निर्विकल्प, निराकुल इन सभी शब्दों का इससे क्या संबंध है?
दादाश्री : निरालंब उन सभी से अलग है। निरालंब का मतलब तो ऐसा कहना चाहते हैं कि, शब्द नहीं हैं वहाँ पर।
प्रश्नकर्ता : यह जो सापेक्षता कहा गया है, वह कहाँ तक है? अर्थात् जीव प्रगति करेगा तो, वह क्रमपूर्वक आगे बढ़ेगा, तो सापेक्ष कहाँ तक है?
दादाश्री : जब तक चौदहवें गुणस्थानक में निरपेक्ष न हो जाए, तब तक। जब तक सापेक्ष है तब तक देह है। हाँ, और चौदहवें गणस्थानक का मतलब क्या है? देह सहित निरपेक्ष। पैर गाड़ी में हैं, गाड़ी में खड़े हैं। बिस्तर बाहर है प्लैटफॉर्म पर लेकिन हम गाड़ी में हैं। गाड़ी रवाना हो जाए और बिस्तर रह जाएँ तो भी हर्ज नहीं है। अतः चौदहवें गुणस्थानक में वह निरपेक्ष हो जाता है, तब तक सापेक्ष का आधार है। हाँ, फिर भी बाहर के लोगों को वह सापेक्ष लगता है। मुझे सापेक्ष नहीं लगता क्योंकि आपको मैं सापेक्ष लगता हूँ और मैं निरालंब रह सकता हूँ। जिसे किसी भी प्रकार का अवलंबन नहीं है, वह निरपेक्ष कहलाता है। नो रिलेटिव!
शुद्धात्मा का अवलंबन किसे? प्रश्नकर्ता : शुद्धात्मा का अवलंबन किसे है ? आत्मा तो निरालंब
दादाश्री : प्रज्ञा को है। निरालंब होना, वही है केवलज्ञान होते