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[६] निरालंब
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प्रश्नकर्ता : होता है न, कभी फास्ट और कभी धीरे-धीरे भी होता
है।
दादाश्री : हाँ, लेकिन उसका तो सारा निकाल हो जाएगा। समझ में, जो दृष्टि भौतिक में थी, वह दृष्टि आत्मा में पड़ी तो काम होने लगा, अपने आप ही काम होता रहेगा।
अंतर, शुद्धात्मा और परमात्मा में प्रश्नकर्ता : अब, ज्ञानी को सदेह परमात्मा कहते हैं, तो शुद्धात्मा और परमात्मा की डेफिनेशन में क्या अंतर है? शुद्धात्मा और परमात्मा में कितना अंतर है?
दादाश्री : परमात्मा निरालंब हैं जबकि शुद्धात्मा शब्द का अवलंबन
प्रश्नकर्ता : तो फिर सीधा ‘परमात्मा' का ही अवलंबन न लें?
दादाश्री : खुद परमात्मा ही है लेकिन अभी 'शुद्धात्मा' के अवलंबन से जी रहा है। शब्द के अवलंबन से उसे ऐसा भान हुआ है कि 'मैं शुद्धात्मा हूँ।
प्रश्नकर्ता : तो हम जो बोलते हैं कि 'मैं दादा भगवान जैसा शुद्धात्मा हूँ', उसकी बजाय 'मैं दादा भगवान जैसा परमात्मा हूँ', ऐसा क्यों नहीं बोल सकते?
दादाश्री : ऐसा बोलने से क्या कुछ बदल जाएगा? प्रश्नकर्ता : तो क्या 'शुद्धात्मा' बोलने से कुछ बदलेगा? दादाश्री : हाँ बदलेगा न।
मैं दादा भगवान जैसा शुद्धात्मा प्रश्नकर्ता : तो फिर परमात्मा कहने से क्यों कुछ नहीं होगा? दादाश्री : लेकिन बिना समझे उससे क्या हो सकता है ? मैंने जो