________________
[७] सब से अंतिम विज्ञान - 'मैं, बावा और मंगलदास'
४०९
दादाश्री : उसे डाँटना नहीं है। देर हो गई, फिर भी आया तो सही न! अत: बावा को डाँटना नहीं है। धीरे से कहना, 'जल्दी जाओ। आप तो बहुत शक्ति वाले हो। सब प्रकार की शक्ति वाले!' ऐसा कह सकते हैं उसे। जल्दी जाना हो तो भी आपमें शक्ति है। अपनी शक्तियाँ समेटकर जाओ तो क्या बुरा है ? डाँटेंगे तो विरोध करेगा और हमें डाँटेगा, बल्कि हमें कुछ कह देगा!
प्रश्नकर्ता : बहुत हाज़िर जवाब है।
दादाश्री : 'तुम्हारे तो माँ-बाप नहीं हैं। हम तो माँ-बाप वाले हैं।' यों रौब जमाएगा। यदि ऐसा कहे कि 'आपके बाप नहीं हैं, माँ नहीं हैं', तो फिर हम क्या कहेंगे? इससे तो अच्छा है कि आबरू का फजीता न करें। 'तू बहुत समझदार है।' ज़रा सख्ती से कहेंगे तो विरोध करेगा। उसकी आदत ऐसी ही है, बावा की। इस जन्म में तो बहुत लाभ हो गया है न? आपको लगता है ऐसा? अनंत जन्मों का हिसाब पूरा हो गया!
सर्व शास्त्रों का सार इतने में बावा कौन है, वह समझ गए न? बावा के साथ यह सारा संबंध रखने की ज़रूरत नहीं है न? इसलिए निकाल कर दो, नहीं तो फिर वह दावा करेगा और हमें यहीं पर रहना पड़ेगा छ: महीनों तक। फिर कोर्ट में वकील ढूँढने पड़ेंगे। हाँ, उसके बजाय तो निकल जा भाई। समभाव से निकाल!
__फिर इस बावा ने क्या किया? इस बावा के नाम से दूसरे बावाओं को खेत दिए। उससे पारा तो नहीं चढ़ जाएगा न? बावा, तो बावा है। अब पारा कैसे चढ़ेगा? नाम बावा का है। हमें कोई लेना-देना नहीं है।
फिर बच्चे भी बावा के हैं। आमचे लड़के! अरे भाई, यह दूसरा आमचे कहाँ से आया, बावा के बच्चे हैं। तुमचे ने आमचे (तुम्हारे और हमारे), तुमचे ने आमचे, बिना बात के!
फिर यदि कोई पूछे तो 'हम इस देश के हैं भाई'। हमें उस देश