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[२.१] राग-द्वेष
है ? 'मैं खुद ही चंदूभाई हूँ', वह जो मान्यता है, वही राग-द्वेष है और वह मान्यता बदलती नहीं है। मैं सो रहा हूँ, मैं ऐसा हूँ', वह सब जाता ही नहीं है। जबकि यह तो, जब हम ज्ञान देते हैं तब कहते हैं, 'यह मेरी फाइल है। मैं अलग हूँ और फाइल अलग है'। जिसने इस फाइल को फाइल जाना, वह आत्मा शुद्ध ही है। क्रमिक में तो इसे, 'मैं ही हूँ' ऐसा कहते हैं।
प्रश्नकर्ता : तो यह जो प्रतिष्ठित आत्मा है, उसे राग-द्वेष होते हैं ?
दादाश्री : उसे भी राग-द्वेष नहीं होते। राग-द्वेष कब कहा जाता है? जब उसमें हिंसक भाव हों। यह तो सिर्फ डिस्चार्ज भाव है। जब तक चार्ज और डिस्चार्ज दोनों रहें, तब वह राग-द्वेष कहा जाता है। जबकि यह तो डिस्चार्ज भाव है अर्थात् भरे हुए माल का गलन (डिस्चार्ज) हो रहा है।
अर्थात् अब गुस्सा हो जाता है या कुछ भी होता है तो वह रागद्वेष नहीं कहलाता। चंदूभाई किसी को एक धौल लगा दे तो वह राग-द्वेष नहीं है या फिर अगर चंदूभाई दो गालियाँ दे दे या किसी को दो धौल लगा दे तो चंदूभाई को उसका फल मिल जाएगा। आपको यह देखते रहना है कि चंदूभाई को लोगों ने कितनी धौल लगाई। अपना विज्ञान अब आपको समझ में आ गया?
राग, आसक्ति - परमाणु का विज्ञान प्रश्नकर्ता : लेकिन फिर राग में से अनुराग हो जाता है और फिर आसक्ति होती है और फिर चाहे कोई भी दोष हो वह अच्छा ही लगता
दादाश्री : ऐसा है, राग कॉज़ेज़ हैं। अनुराग और आसक्ति इफेक्ट हैं। तो इफेक्ट को बंद नहीं करना है, कॉज़ेज़ बंद करने हैं।
क्योंकि यह आसक्ति कैसी है ? एक महिला ने कहा, 'आपने मुझे और मेरे पुत्र को भी ज्ञान दिया है, फिर भी मुझे उस पर इतना अधिक